यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करना हमारा राष्ट्रीय एवं संविधानिक दायित्व हो
परम पूज्य संत गुरु घासीदास जी ने कहा है कि मनखे मनखे एक समान । जब सभी मनुष्य एक समान हैं तो इस देश में मानव के लिए अलग अलग कानून क्यों? परम पूज्य गुरु घासीदास बाबा जी के संकल्प को पुरा करना हमारा लक्ष्य है। जाति पंथ धर्म के आधार पर भेदभाव खत्म कर समानता लाने के लिए UCC समान नागरिक संहिता की जरूरत ही है । समान नागरिक संहिता का अर्थ है कि भारत में रहने वाले हर नागरिक के लिए एक समान कानुन होना चाहिए, चाहे वह कोई भी जाति, धर्म का क्यों न हो। और आज इसकी आवश्यकता भी है। शादी, तलाक, जमीन जायदाद के बंटवारे में देश के सभी लोगों के लिए एक ही कानून होगा। देश में संविधान के अनुच्छेद 44 में कहा है कि राज्य भारत के पुरे क्षेत्र में नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता सुनिश्चित करने का प्रयास करेगा। समान नागरिक संहिता को लेकर प्रावधान है इसमें कहा गया है कि राज्य इसे लागू कर सकता है इसका उद्देश्य धर्म के आधार पर किसी भी वर्ग विशेष के साथ होने वाले भेदभाव या पक्षपात को खत्म करना और देश भर में विविध सांस्कृतिक समूहों के बीच सामंजस्य स्थापित करना था । संविधान निर्माता डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने कहा था कि यूसीसी जरूरी है । देश में आज विभिन्न मत, पंथ को लेकर आपस में मतभेद उत्पन्न हो रहा है। इसके लिए जरूरी है कि सभी नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता कानून लागू हो।