नारीशक्ति के अत्याचार पर घिनौनी राजनीति बंद हो-मोहन लाल साहु समाजसेवी धमतरी
"यत्र नार्यस्तु पुज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवता" जहां नारी की पुजा होती है वहां देवता निवास करते हैं। "जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी" जननी (मां) और जन्मभूमि (धरती) स्वर्ग से भी बढ़कर है। ऐसा हमारे धर्मग्रंथों शास्त्रों में लिखा गया है और भारतीय संस्कृति में हम लोग इसे शिरोधार्य करते हैं। मां की गोद में स्वर्ग से भी बढ़कर आनंद है। इस देवभूमि भारत में मातृशक्ति का स्थान सर्वोच्च है। लेकिन कुछ दुष्टों की राक्षसी प्रवृत्ति से मातृशक्तियों पर जो अत्याचार घिनौनी हरकत हो रहा है वह हमारे लिए बहुत ही शर्मिंदगी है। चाहे वह मणिपुर की घटना हो, छत्तीसगढ़ के बस्तर में पोटा केबिन में छह वर्ष की बच्ची का दुष्कर्म मामला हो, या पश्चिम बंगाल, राजस्थान आदि में प्रदेश में मातृशक्तियों पर अत्याचार, अनाचार दुष्कर्म की निंदनीय घटना हो यह सब हमारे मानव जीवन मुल्यों के लिए घातक है।इसका भयंकर घातक परिणाम हमारे जीवन पर पड़ रहा है। सबसे ज्यादा घातक इस मामले पर होने वाले घिनौनी राजनीति है जो एक दूसरे दल पर आरोप प्रत्यारोप लगा रहे हैं। सत्ता, पद , पावर के चक्कर में सब अंधे हो गए हैं। यह नहीं सोच रहे हैं कि हम सब राजनीतिक दल को एक साथ होकर इस पर कठोर से कठोर कानून लागू करें। मातृशक्ति पर अत्याचार होने पर तुरंत एक महीने के अंदर अपराधियों के ऊपर सक्त कार्यवाही हो। क्या होगा हम सबका अगर हमारे नेतृत्वकर्ता अपराधियों को सजा दिलाना छोड़कर विभिन्न राजनीतिक, सामाजिक संगठन आपस में छींटाकशी में लगे हैं। आज देश में सभी तरफ ऐसी घटनाएं देखने सुनने को मिल रही है लेकिन इसके रोकथाम कैसे हो इसे छोड़ वैमनस्यता और पैदा कर रहे हैं। क्यों न सभी राजनीतिक, धार्मिक, सामाजिक संगठन मिलकर इन अपराधियों के खिलाफ कठोर कानून लागू करें। देश के सभी लोगों के लिए जो अपराध करते हैं उसके लिए एक ही कठोर कानून लागू हो। जिस दिन ऐसा होगा उसी दिन ही सभ्य समाज, समृद्ध राष्ट्र की कल्पना साकार होगी।