रक्षाबंधन केवल भाई-बहन का उत्सव ही नहीं अपितु देश, धर्म, राष्ट्र और संस्कृति की रक्षा का उत्सव है
सावन माह की पुर्णिमा में मनाया जाने वाला भारतीय संस्कृति के रक्षाबंधन उत्सव भाई बहन के स्नेह का बहुत ही पवित्र त्यौहार है। बहन और भाई के स्नेह को यह रक्षा सुत्र और मजबूत बना देता है। श्रीमद्भागवत में राजा बलि और माता लक्ष्मी की कथा, महाभारत में भगवान श्री कृष्ण और द्रोपदी की कथा, भाई बहन के स्नेह और उसकी हर कठिन समय में रक्षा का संकल्प लेता है। जब राजा युद्ध पर जाया करते थे तो उसकी रानियां माथे पर कुमकुम का तिलक लगाकर व हाथ पर रक्षा सूत्र बांधकर विजय का संकल्प दिलाती थी ।
ऐसे कई उदाहरण हमारे गौरवशाली संस्कृति व परंपरा में ज्ञातव्य है ।रक्षाबंधन केवल भाई-बहन का उत्सव ही नहीं अपितु देश, समाज, धर्म, राष्ट्र व संस्कृति की रक्षा का उत्सव है ।रक्षाबंधन के अवसर पर हिंदू धर्म, संस्कृति की रक्षा हिंदू समाज को समरस व संगठित बनाने के संकल्प के साथ ही राष्ट्र व समाज में स्वावलंबन का निर्माण हो इसलिए स्वदेशी हमारे जीवन का अंग बने ऐसा संकल्प लेना चाहिए । वर्तमान समय में जाति, भाषा, वर्ग भेद, संस्कृति में भिन्नता पर हमें गहन चिंता करना चाहिए । समाज में मत्तांतरण, धर्मांतरण, लव जिहाद इन सब पर रोक के भी एक दूसरे को रक्षा सूत्र बांधते हुए संकल्प लेना चाहिए । शोषित, वंचित, अभावग्रस्त लोगों के सुरक्षा सहयोग का संकल्प, गाय, ग्राम व गंगा की रक्षा, अखंड भारत का संकल्प एक दूसरे को रक्षा सूत्र बांधते हुए हमें संकल्प लेना चाहिए । आओ आज आज हम सब एक दुसरे को रक्षा सूत्र बांधते संकल्प लें प्रकृति के संरक्षण और संवर्धन का। जिस पर सभी जीवों का कल्याण निहित है।
मोहन लाल साहु धमतरी समाजसेवी