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*किसान, महिला, गरीब एवं युवा वर्ग के विकास के लिए केंद्र व राज्य सरकार विशेष रूप से कटिबद्ध : रंजना साहू*

*किसान, महिला, गरीब एवं युवा वर्ग के विकास के लिए केंद्र व राज्य सरकार विशेष रूप से कटिबद्ध : रंजना साहू*
*ज़िला सहकारी संघ धमतरी के तत्वाधान में जिले के दुग्ध सहकारी समितियों के पदाधिकारियों एवं प्रबंधकों द्वारा प्रशिक्षण का किया गया आयोजन, जिसमे पशुपालन, दुग्ध उत्पादन, विभागीय योजनाओं की जानकारी व लेखा एवं प्रबंधन* 

धमतरी- ज़िला सहकारी संघ धमतरी के तत्वाधान में जिले के दुग्ध सहकारी समितियों के पदाधिकारियों एवं प्रबंधकों द्वारा प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। जिसमे पशुपालन, दुग्ध उत्पादन, विभागीय योजनाओं की जानकारी व लेखा एवं प्रबंधन विषय पर दुग्ध शीत केंद्र मुजगहन धमतरी के परिसर मे प्रशिक्षण दिया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि माननीय रंजना डीपेंद्र साहू पूर्व विधायक धमतरी, अध्यक्षता परिणीता साहू संचालक छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी संघ रायपुर, विशेष अतिथि धनेश्वरी साहू जनपद सदस्य, डॉ. एम एस बघेल उपसंचालक पशुपालन विभाग, पीसी ध्रुव मुख्य कार्यपालन अधिकारी छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी संघ रायपुर, राजेश जैना प्रभारी क्षेत्र संचालन दुग्ध महासंघ, टेमन लाल साहू अध्यक्ष ज़िला संघ धमतरी, संघ के संचालक सदस्य उषा ओमप्रकाश साहू उपस्थित रहे। प्रशिक्षण में मंचासीन अतिथियों द्वारा भारत माता के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि रंजना साहू ने अपने उदबोधन में कहा की पशुपालकों को प्रशिक्षण के माध्यम से जानकारी प्राप्त कर शासन की सब्सिडी आधारित योजनाओं का लाभ लेना चाहिए। केंद्र एवं राज्य में भाजपा सरकार की मुख्य चार प्राथमिकता जिसमें किसान, महिला, गरीब एवं युवा सभी के विकास के लिए सरकार विशेष रूप से प्रतिबद्ध है, समय पर उचित जानकारी पशुपालकों को मिलनी चाहिए जिससे वह शासन की योजनाओ को समझ कर लाभ उठाकर आगे बढ़े। कार्यक्रम के अध्यक्ष परिणीता साहू ने अपने उदबोधन में कहा कि सहकारिता को समझना जन-जन के लिए आवश्यक है ताकि हम मिलजुल कर समाज के बेहतरी के लिए कार्य करते रहे। सहकारिता में व्यवसाय का फैलाव पूरे विश्व में है दूध समितियां सहकारी क्षेत्र में सफल समितियों का अनुकरणीय उदाहरण है अमूल को पूरे विश्व में जाना जाता है एवं उसके मॉडल का अनुसरण किया जाता है। डॉ. एम एस बघेल उपसंचालक ने कहा की दूध खरीदी का दर पूरे भारत में लगभग एक समान है उसी के बराबर छत्तीसगढ़ में भी दूध की खरीदी की जा रही है। पशुपालकों को चारा उत्पादन के क्षेत्र में कार्य करने की आवश्यकता है, इससे दुग्ध उत्पादन की लागत में नियंत्रण किया जा सकता है। नेपियर एवं हेजलूशन चारा से पशुओं में पोषक तत्वों की पूर्ति होती। डॉ प्रमोद ठाकुर ने बताया की पशुपालन के चार स्तंभ होते हैं जिसमें प्रथम पशु प्रजनन हेतु कृत्रिम गर्भाधान या नेचुरल उन्नत सांड से गर्भाधान अति आवश्यक है। प्रजनन सोर्टेड सीमेंस के माध्यम से केवल बछिया का उत्पादन किया जा सकता है, दूसरा पशु पोषण के अंतर्गत पशुओं के लिए पोषक आहार हरा चारा की अति आवश्यकता होती है। लागत नियंत्रण करने के लिए पशु आहार या दाना की मात्रा को कम करने के लिए हरा चारा शामिल करने से उत्पादन लागत कम आएगा यह लोग कास्ट टेक्नोलॉजी अमल करना आवश्यक है, तीसरा पशु स्वास्थ्य समय-समय पर टीकाकरण एवं डी वार्मिंग करना अति आवश्यक है इससे पशुओं को होने वाली अधिकतर बीमारियों से बचाया जा सकता है बीमारी से पशुओं की मृत्यु होने पर बहुत अधिक क्षति होती है इसे कम किया जा सकता है, चौथा पशु प्रबंधन गौशाला की साफ सफाई किरनी एवं जूं कम करने हेतु समय-समय पर कीटनाशक का छिड़काव करें एवं गौशाला में साइपर मीथेन,चुना, ब्लीचिंग आदि का छिड़काव कर स्वच्छता लाने का प्रयास करें। प्रगतिशील पशुपालक रामलाल साहू ने अपने अनुभव आधारित जानकारी साझा किया जिसमें पशुओं के सूखा चारा पैरा कुट्टी का पशु मूत्र से उपचार कर उसे पशुओं को खिलाने की तकनीक के बारे में बताया। वे जैविक रूप से किस प्रकार मिलेट्स,सब्जियों का उत्पादन कर रहे हैं उनके बारे में भी बताया। कोई भी पशुपालक उनके प्रयोग को अपना कर प्राकृतिक रूप से पैरा चारा/कट्टी का उपचार कर सकते हैं एवं जैविक खेती कर सकते हैं, उनके संपर्क नंबर 0787886214 पर मार्गदर्शन ले सकते है। पीसी ध्रुव सीईओ ने समिति के गठन, पंजीयन, दस्तावेजीकरण जिसमे सदस्यता पंजी शेयर होल्डिंग पंजी का संधारण, दुग्ध संकलन पंजी संधारण, प्रबंध समिति के बैठक पंजी संधारण, कैलेंडर वर्ष के समय सीमा में अंकेक्षण नही कार्य जाने पर प्रबंधक को व्यतिगत आर्थिक दंड 5000/ के बारे में विस्तार से चर्चा किया साथ ही समय पर निर्वाचन एवं अंकेक्षण के संबंध में जानकारियां दी। राजेश साहू प्रशिक्षक ने बताया कि आर्थिक रूप से कमजोर एक व्यक्ति अगर दुग्ध व्यापार करने में सक्षम नहीं है तब सहकारिता के माध्यम से एकजुट होकर समिति बनाकर दुग्ध व्यापार कर सकते हैं। दुग्ध व्यापार को बढ़ाने के लिए उत्पादन लागत को कम करने के लिए पशुओं के उचित आहार पर ध्यान देना आवश्यक है। मनुष्यों में जिस प्रकार पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है उसी प्रकार पशुओं को भी पर्याप्त पोषक आहार की आवश्यकता होती है। उनके पोषण को बनाए रखने के लिए उनको निरंतर हरा चारा देना आवश्यक है। चारा अगर 12 मासी उपलब्ध न हो तो भी चारा प्रसंस्करण में साईलेज निर्माण कर चारा को संरक्षित रखकर पशुओं को हरा चारा दे सकते हैं ।अति शीघ्र चारा उत्पादन हेतु कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क कर सघन प्रशिक्षण कराया जावेगा। प्रशिक्षक सुरेश पटेल ने लेखा संधारण, वाऊचिंग व दस्तावेजीकरण के बारे में जानकारी दिए। कार्यक्रम के अंत में मंचाशीन अतिथियों को शाल श्रीफल से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन एवम आभार प्रदर्शन जिला संघ प्रबंधक ए पी गुप्ता ने किया। प्रशिक्षण में बड़ी संख्या में दूुग्ध उत्पादक समिति के पदाधिकारी, सदस्य, प्रबंधक उपस्थित रहे। कार्यक्रम में मुकेश देवांगन प्रभारी शीत केंद्र मुजगहन का सहयोग रहा।