-->
Flash News

" हिंदुत्व टीवी में पत्रकारों की टीम 24 घंटे छत्तीसगढ़ समेत देश की बड़ी व महत्वपूर्ण खबरे पोस्ट करती है। हमारे टीम के द्वारा दी जाने वाली सभी खबरें या जानकारियां एक विशेष टीम के द्वारा गहन संसोधन (रिसर्च) के बाद ही पोस्ट की जाती है . .... CALL 9685644537

*14 अगस्त: विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस हुआ संगोष्ठी*

*14 अगस्त: विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस हुआ संगोष्ठी*

*भारत का विभाजन देश के लिए किसी विभीषिका से कम नहीं था. यह एक साजिश थी कि देश को धर्म के आधार पर दो टुकड़ों में बांट दिया गया - विजय बघेल*
*कैसे भूल सकते है विभाजन के दर्द को ?*


आज शहर के मराठा मंगल भवन में विभाजन विभीषिका को लेकर संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमे मुख्य अतिथि के रूप में दुर्ग सांसद श्री विजय बघेल, कार्यक्रम के अध्यक्ष रामचंद्र हिरवानी, भाजपा जिलाध्यक्ष श्री प्रकाश बैस,श्रीमति पिंकी शिवराज शाह जी, श्रीमती रंजना साहू जी श्री इंदर चोपड़ा जी, श्री श्रवण मरकाम जी की उपस्थित हुए ।


दुर्ग सांसद विजय बघेल ने कहा कि 14 अगस्त 1947 की तारीख एक तरफ 200 वर्षों की गुलामी के बाद आजादी मिलने वाली थी तो वहीं दूसरी ओर देश के धर्म के आधार पर दो टुकड़े हो रहे थे. कोरोडो लोग इधर से उधर हो गए. घर-बार छूटा. परिवार छूटा. संपत्ति छूटी लाखों की जानें गईं. बलात्कार हिंसा की घटनाएं हुई यह दर्द था, विभाजन का. यह विभीषिका से कम नहीं था.

दुर्ग सांसद विजय बघेल ने कहा कि “अब हर साल स्वतंत्रता दिवस से एक दिन पहले 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका दिवस के तौर पर याद किया जाएगा. देश का विभाजन कैसे हमारे लिए विभीषिका बनी यह स्मरण करने का दिन है
देश की वर्तमान और भावी पीढ़ियों को विभाजन के दौरान लोगों द्वारा सही गई यातना और वेदना का स्मरण दिलाने के लिए 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के रूप में मना रहे है

श्री विजय बघेल ने कहा कि देश के बंटवारे के दर्द को कभी भुलाया नहीं जा सकता. नफरत और हिंसा की वजह से हमारे करोड़ी बहनों-भाइयों को विस्थापित होना पड़ा और लाखों को अपनी जान गंवानी पड़ी.
विभाजन के कारण हुई हिंसा और नासमझी में की गई नफरत से करोड़ों लोग विस्थापित हो गए और कई ने जान गंवा दी. उन लोगों के बलिदान और संघर्ष की याद में 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के तौर पर याद किए जाने का दिन है
विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस, सामाजिक विभाजन, वैमनस्यता के जहर को दूर करने और एकता, सामाजिक सद्भाव और मानव सशक्तीकरण की भावना को और मजबूत करने की जरूरत की याद दिलाए. यह दिन हमें भेदभाव, वैमनस्य और दुर्भावना के जहर को खत्म करने के लिए प्रेरित करेगा. साथ ही इससे एकता, सामाजिक सद्भाव और मानवीय संवेदनाएं भी मजबूत होंगी.

 ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन ने पाकिस्तान को 14 अगस्त 1947 में भारत के विभाजन के बाद एक मुस्लिम देश के रूप में मान्यता दी थी. करोड़ों लोग विस्थापित हुए थे और बड़े पैमाने पर दंगे भड़कने के चलते कई लाख लोगों की जान चली गई थी.

इससे पहले ब्रिटिश हुकूमत से आजादी के लिए भी लाखों भारतीयों ने कुर्बानियां दी थीं. 14 अगस्त 1947 की आधी रात भारत की आजादी के साथ देश का भी विभाजन हुआ और पाकिस्तान अस्तित्व में आया. विभाजन से पहले पाकिस्तान का कहीं नामो-निशान नहीं था. अंग्रेज जा तो रहे थे, लेकिन चंद नेताओ के साथ टेबल में भारत के विभाजन की साजिश रची गई उनकी साजिश का फलाफल था कि भारत को बांटकर एक अन्य देश खड़ा किया गया.



*कभी नहीं भूली जा सकती वह रात - रामचंद्र हिरवानी*

विभाजन की घटना को याद किया जाए तो 14 अगस्त 1947 का दिन भारत के लिए इतिहास का एक गहरा जख्म है. वह जख्म तो आज तक ताजा है और भरा नहीं है. यह वो तारीख है, जब देश का बंटवारा हुआ और धर्म के आधार पर पाकिस्तान एक अलग देश बना.

भारत-पाक विभाजन ने भारतीय उप महाद्वीप के दो टुकड़े कर दिए. दोनों तरफ पाकिस्तान (पूर्वी और पश्चिमी पाकिस्तान) और बीच में भारत. इस बंटवारे से बंगाल भी प्रभावित हुआ. पश्चिम बंगाल वाला हिस्सा भारत का रह गया और बाकी पूर्वी पाकिस्तान. यह दिलों और भावनाओं का भी बंटवारा था
देश का बंटवारा तो हुआ लेकिन शांतिपूर्ण तरीके से नहीं. इस ऐतिहासिक तारीख ने कई खूनी मंजर देखे. भारत का विभाजन खूनी घटनाक्रम का एक दस्तावेज बन गया जिसे हमेशा उलटना-पलटना पड़ता है. दोनों देशों के बीच बंटवारे की लकीर खिंचते ही रातों-रात अपने ही देश में करोड़ो लोग बेगाने और बेघर हो गए. धर्म-मजहब के आधार पर न चाहते हुए भी लाखों लोग इस पार से उस पार जाने को मजबूर हुए.

इस अदला-बदली में दंगे भड़के, कत्लेआम हुए. जो लोग बच गए, उनमें लाखों लोगों की जिंदगी बर्बाद हो गई. भारत-पाक विभाजन की यह घटना सदी की सबसे बड़ी त्रासदी में बदल गई. यह केवल किसी देश की भौगोलिक सीमा का बंटवारा नहीं बल्कि धर्म के आधार पर लोगों के दिलों और भावनाओं का भी बंटवारा था. बंटवारे का यह दर्द गाहे-बगाहे हरा होता रहता है. विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस इसी दर्द को याद करने का दिन है.

कार्यक्रम का संचालन कार्यक्रम प्रभारी महेंद्र पंडित ने किया एवं आभार प्रदर्शन भाजपा जिला महामंत्री अविनाश दुबे ने किया ।

उक्त कार्यक्रम में शशि पवार, वीथिका विश्वास, ज्ञानी राम रामटेक, नरेंद्र साहू,, हेमराज सोनी, विनय जैन, श्रीमती हेमलता शर्मा, महेश साह, धनीराम सोनकर, श्रीमती अनीता सोनकर, अखिलेश सोनकर, कैलाश सोनकर, चंद्रकला पटेल, कृष्णकुमार रनसिंह, शिरोमणि राव घोरपडे, राजू सोनकर, प्रकाश गुलशन, फिरोज ही, संतोष तिवारी, निर्मल बदरिया, कुंजलाल देवांगन, कमलेश ठोकने, विश्वजीत कृद्त्त, डॉक्टर एनपी गुप्ता, जसराज जी, नितेश सेठिया, शिव शर्मा, सुरेश गुप्ता, भूषण शार्दुल, प्रदीप अग्रवाल, कविंद्र जैन,राकेश चंदवानी, राम सोनी, यूवराज मरकाम, आशीष शर्मा कुलेश सोनी उपस्थित हुए ।

anutrickz

"हिंदुत्व टीवी"

@topbharat

TopBharat is one of the leading consumer News websites aimed at helping people understand and Know Latest News in a better way.

GET NOTIFIED OUR CONTENT