बीजेपी जिलाध्यक्ष की कार्यशैली को लेकर उठ रहे सवाल
हताश हो रहें हैं आम कार्यकर्ता
धमतरी। पहले ही भयंकर गुटबाजी से जूझ रही भारतीय जनता पार्टी पर नवनियुक्त जिलाध्यक्ष की कार्यशैली करेला ऊपर से नीम चढ़ा साबित हो रही है। विधानसभा चुनावों में जिले की तीन में से दो सीटें हारने के बाद आलाकमान ने तत्कालीन जिलाध्यक्ष शशि पवार की जगह जिले की कमान जिला महामंत्री प्रकाश बैस के हाथों में सौंपी थी। तभी से कार्यकर्ताओं में हताशा का भाव संचारित हो गया था। ये बात सुनने में आने लगी थी कि जो मंडल अध्यक्ष और जिला महामंत्री जैसे जिम्मेदार पदों पर रहकर अपनी नगरी विधानसभा नहीं जिता पाया वो जिले का दायित्व कैसे सम्हालेगा ? आलाकमान की समझाइश पर पार्टीजन उनके कामकाज में सुधार की उम्मीद लगा बैठे थे जो अब टूटती नजर आ रही है। बीजेपी के जिला कार्यालय में वो नियमित रूप से नहीं बैठते जिससे आम कार्यकर्ताओं से उनका जीवंत और सतत संपर्क नहीं हो रहा है। यही नहीं जिले के प्रभारी मंत्री के हालिया प्रवासों के दौरान उनकी अनुपस्थिति चर्चा का विषय बनी हुई है।
कहां उनसे जिलेभर के कार्यकर्ताओं का रहनुमा बनने की आस थी और वो महज नगरी के जिलाध्यक्ष बनकर रह गए हैं।उन्होंने अपने क्रियाकलापों से अबतक ना तो प्रेरक व्यक्तित्व की कोई झलक दी है ना ही वो सर्वमान्य और समावेशी नेतृत्वकर्ता के रूप में स्थापित हो पाए हैं।
कुल मिलाकर आम कार्यकर्ताओं के मन में अब ये धारणा घर करने लगी है कि कहीं जिलाध्यक्ष की अपरिपक्व और अक्षम कार्यशैली पार्टी के हितों पर भारी ना पड़ जाए। आगामी स्थानीय निकाय चुनावों के पहले पार्टी ने कड़ा निर्णय लेकर जिले में नेतृत्व की ये गुत्थी नहीं सुलझाई तो पार्टी की संभावनाओं पर ग्रहण लगने से इंकार नहीं किया जा सकता।