*"कलम की ताकत बनाम पाउच की आदत: युवा पीढ़ी के लिए एक संदेश"*
आज की युवा पीढ़ी शायद यह समझने में चूक कर रही है कि कलम की शक्ति कितनी महत्वपूर्ण है। वर्तमान में, जहाँ युवा अपनी जेब में 50-50 रुपये के तंबाकू पाउच रखते हैं, वहीं 5 रुपये की कलम रखने से कतराते हैं। यह केवल एक आदत का सवाल नहीं है, बल्कि एक मानसिकता का प्रतीक है जो इस बात की ओर इशारा करती है कि उन्हें कलम की असली ताकत का एहसास नहीं है।
कलम न केवल लिखने का साधन है, बल्कि यह व्यक्ति के विचारों, उसकी शिक्षा और उसके भविष्य की दिशा को तय करने वाली एक शक्तिशाली वस्तु है। इतिहास गवाह है कि एक सशक्त विचार और एक सही लेखन समाज में बदलाव ला सकता है। इसके विपरीत, पाउच रखना न केवल स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है बल्कि हमारे पर्यावरण को भी प्रदूषित करता है। तंबाकू चबाने की यह आदत धरती को प्रदूषित करती है और स्वास्थ्य पर भी गंभीर प्रभाव डालती है।
आज की युवा पीढ़ी को यह समझना चाहिए कि एक साधारण कलम आपको न केवल शिक्षित और समझदार दिखाती है, बल्कि यह आपको स्मार्ट और प्रोफेशनल व्यक्तित्व का धनी भी बनाती है। पाउच रखने से जहां छवि नकारात्मक बनती है, वहीं कलम रखने से आप अधिक परिपक्व, जिम्मेदार और सामाजिक रूप से जागरूक व्यक्ति के रूप में नज़र आते हैं।
मेरी अपील है कि युवा पीढ़ी पाउच छोड़कर कलम को अपनी जीवनशैली का हिस्सा बनाए, जिससे न केवल उनका व्यक्तित्व निखरेगा, बल्कि समाज में सकारात्मक बदलाव की दिशा में भी वे योगदान देंगे।
✍️ _आनन्द स्वरूप मेश्राम_✍️
ग्राम संबलपुर
विश्व हिन्दू परिषद जिला उपाध्यक्ष