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*रामचरित मानस व्यक्ति को विषम परिस्थिति में भी धैर्य और संयम बनाए रखना सिखाती हैं -- दीपक सिंह ठाकुर*

*रामचरित मानस व्यक्ति को विषम परिस्थिति में भी धैर्य और संयम बनाए रखना सिखाती हैं -- दीपक सिंह ठाकुर*
*ब्रह्मांड नायक भगवान श्रीराम ने मानव जीवन में जलाएं हैं मर्यादा के दीप : मोहन साहू*

*धमतरी* ग्राम रामपुर में संत समागम मानस परिवार द्वारा आयोजित रामचरित मानस प्रतियोगिता में राम नाम का श्रवण कर अपने उद्बोधन में दीपक सिंह ठाकुर ने कहा कि आपके ग्राम रामपुर में यह रामचरित मानस विगत सात वर्षों से हो रहा है यह सौभाग्य की बात है मानस केवल एक धार्मिक कार्यक्रम ही नहीं है बल्कि यह मनुष्य के जीवन को सीख देने वाला है । मानस में जहां भागवान राम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है वहीं माता सीता को पवित्रता का प्रतीक दर्शाया गया है ‌। रामायण में लक्ष्मण और भरत दोनों का अपने भाई के प्रति अथाह प्रेम दिखाया गया है। मानस के हर एक चरित्र में कुछ न कुछ शिक्षा अवश्य प्राप्त होती है। यदि व्यक्ति मानस को सुनने के साथ साथ उससे मिलने वाली सिख का अपने जीवन में अनुसरण करें तो वह एक सफल जीवन व्यतीत कर सकता है । 

दीपक सिंह ठाकुर ने कहा कि मानस में कुछ ऐसी ही महत्वपूर्ण बातें बताया जाता है जिसमें जीवन का सार छिपा होता है। रामायण हमें धैर्य और गंभीर बनने कि सीख देता है जिस प्रकार रामायण में भगवान राम , माता सीता और लक्ष्मण तीनों ने चौदह वर्ष तक विपरीत परिस्थितियों में भी संयम के साथ समय व्यतीत किया । रामायण के इस बात से हमें सीख मिलती है कि व्यक्ति को हर परिस्थिति में संयम बरतना चाहिए। जो व्यक्ति सुख और दुख में संयम और धैर्य बनाए रखता है वह विषम परिस्थितियों से लड़कर अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है। रामायण हमें परिवार एवं अपने परिवेश में एकता बनाए रखने कि सीख देता है जिस समय भगवान राम चौदह वर्ष के वनवास में थे तब उनके भाई लक्ष्मण ने सभी सुखों को त्याग करके उनके साथ वन को चले गए । और अपने भ्राता और भाभी का माता-पिता के समान सेवा करते रहे तो वहीं भरत ने भगवान राम के खड़ाउ को सिंहासन में रखकर उनको शासक मानते हुए राज काज संभाला । इससे सीख मिलती है कि परिवार में सदैव एकता रखनी चाहिए। जब वनवास के समय रावण ने माता सीता का हरण किया तो राम जी ने उस समय अपना आत्मविश्वास नहीं डगमगाने दिया उन्होंने सभी को एकत्र कर समुद्र में सेतु का निर्माण किया और रावण का वध करके माता सीता को वापस लाए ।


कार्यक्रम में अतिथि के रूप में उपस्थित श्री मोहन साहू ने कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम अखिल ब्रह्मांड के नायक है जिन्होंने मानव समाज में मर्यादा रुपी ज्ञान के दीप जलाए हैं उन्होंने पृथ्वी पर मनुष्य रूप में अवतार लेकर सभी मानवीय जीवन के सभी धर्मों का पालन किए हैं। श्री साहू ने हमारे आने वाले भविष्य युवा साथियों से आग्रह करते हुए कहा कि अब हमें अपने जीवन में धार्मिक अनुष्ठानों के प्रति लगाओ को बढ़ाना होगा क्योंकि जो हमारे पूर्वज वरिष्ठ जन हमारे आदर्श हैं उन्होंने सदैव हमारे देवी देवताओं की पूजा अर्चना करते हुए क्षेत्र की सुख समृद्धि और खुशहाली की कामना किए हैं इसलिए उनके बताए हुए मार्ग पर चलना हमारा नैतिक दायित्व है। श्री साहू ने ग्राम वासियों को धार्मिक आयोजन हेतु बधाई देते हुए कहाँ की हम सबको ऐसे आयोजन में सहभागिता देना चाहिए व धर्म के रास्ते मे चलते हुए समाज व मानव कल्याण है हेतु कार्य करना चाहिए,समापन समारोह के अवसर पर संत समागम मानस परिवार रामपुर के नोहेश्वर निषाद,भीखम निषाद ,पुरूषोतम निषाद,घनश्याम साहू,टुकेश्वर साहू,बोधराम निषाद,रमेश निषाद, नेहरू राम साहू, मिलु राम साहू,संतोष यादव, फ़नेश साहू,लीला राम साहू ललित सेन,घनेश्वर,,निषाद,सेवा ,सोमप्रकाश दुबे एवं बड़ी संख्या में ग्रामीणजन उपस्थित थे 

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