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वर्तमान समय भारत के लिये कठिन व निराशाजनक है — कविता योगेश बाबर

वर्तमान समय भारत के लिये कठिन व निराशाजनक है — कविता योगेश बाबर 

भारत वर्तमान समय में जिस दौर से गुज़र रहा है यह बेहद कठिन व निराशाजनक दौर है भारत की सेना शुरू से ही शक्तिशाली व समर्पित रूप से काम करने वाली देश की सुरक्षा करने वाली सेना रही है आज सेना की बदौलत ही विश्व में भारत को सम्मान की नज़र से देखा जाता है लेकिन वर्तमान समय में मोदी सरकार राष्ट्रवाद के नाम पर देश में धर्म और जाति आधारित राजनीति करते हुए निर्णय ले रही है जो कि भविष्य के लिए घातक साबित होगा भारत देश शुरू से ही सर्व धर्म समभाव व वसुधैव कुटुम्बकम् पर आधारित है लेकिन वर्तमान समय में देश के अंदर जाति विशेष को लेकर जो नफ़रत व ज़हर घोलने का माहौल पैदा किया जा रहा है वह उचित नहीं है बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के संविधान को कुचलने का कार्य वर्तमान मोदी सरकार द्वारा किया जा रहा है कांग्रेस पार्टी के नेता राहुल गांधी द्वारा शुरू से ही इस बात पर बल दिया जा रहा है कि भारत का संविधान ख़तरे में है और इसे हमें बचाना बहुत ही ज़रूरी है इसी क्रम में कांग्रेस पार्टी द्वारा पूरे देश में संविधान बचाव यात्रा पर रैली निकाली जा रही है आज हम इस मोदी सरकार पर अगर नज़र डालें तो वाक़ई में लगता है कि देश में आंतरिक रूप से विस्फोटक स्थिति बन रही है मीडिया सरकार के चहेते व्यापारिक घरानों के क़ब्ज़े में हैं जनता को सही जानकारी न देकर सरकार द्वारा प्रायोजित समाचारों में सरकार का महिमागान किया जाता व उन बातों को दिखाया जाता है विपक्ष को पूरी तरीक़े से एजेंसियों का दुरुपयोग कर ख़त्म करने का प्रयास चल रहा है आज देश में बेरोज़गारी महँगाई भुखमरी बढ़ते ही जा रही है इन सब चीज़ों से लोगों का ध्यान हटाने के लिए धर्मों का सहारा लिया जा रहा है ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों के पास आज के समय में किसी प्रकार का कोई रोज़गार नहीं है मनरेगा जैसे रोज़गार की व्यवस्था को बिलकुल ख़त्म कर दिया गया है मोदी सरकार द्वारा अभी तक जितने भी बड़े फ़ैसले लिए गए हैं जैसे की नोट बंदी ग़लत GST कृषि के तीन काले क़ानून जो कि असफल साबित हुए हैं अपनी इन असफलताओं को छुपाने हेतु सरकार ने हमेशा धर्म व जाति का आड़ लिया है तथा विपक्षी लोगों को अनावश्यक परेशान करना डराना धमकाना उनके ऊपर मामले दर्ज कराना यही इनकी असली नीति नियत व चेहरा है देश में व्याप्त मूलभूत समस्याओं से ध्यान हटाने के लिए मंदिर मस्जिद का सहारा लिया जाता है आने वाला समय देश में आंतरिक गृह युद्ध की ओर संकेत करता हुआ दिखाई देता है जुमलेबाजी करना झूठ बोलना लोगों के सामने ग़लत चीज़ों को सही साबित करने की कोशिश करना यही रह गया है आज भी कश्मीर में कहीं शांति व्याप्त नहीं है पिछले 10 वर्षों में कश्मीर में आतंकवाद की ढेर सारी घटनाएँ घटित हुई है जिनमें हज़ारों बेक़सूर व निर्दोष लोग मारे गए हैं पुलवामा कांड में हमारे 42 सैनिक मारे गये इस कांड के साजिशकर्ता आज भी चंगुल से बाहर है अभी वर्तमान में पहलगाम में जो घटना घटित हुई उसमें निर्दोष लोगों को उनकी जाति व धर्म पूछ पूछ कर मारा गया ऐसा इतिहास में कभी भी घटना नहीं हुई थी उसके गुनाह गार बाहर है व आज भी पकड़े नहीं गए हैं वह चंगुल से बाहर आज़ाद घूम रहे हैं ये सरकार की खुफिया तंत्र व जाँच एजेंसियों की नाकामी ही साबित हो रही है पाकिस्तान पर आतंकवादी कैंपों पर हमला कर नष्ट करना ये हमारी सेना की बहुत बड़ी सफलता है लेकिन निर्णायक समय में अचानक युद्धविराम की घोषणा वो भी किसी तीसरे व्यक्ति द्वारा करना यह मोदी सरकार की कमज़ोरी को साबित करता है क्योंकि भारत और पाकिस्तान के बीच जो कश्मीर समस्या है वह दोनों देशों का आंतरिक मामला है और उस समझौते के तहत इसमें किसी भी तीसरे देश की दखलंदाजी को मान्य नहीं किया जाना चाहिए लेकिन मोदी सरकार ने अमेरिका के सामने घुटने टेक कर जीती हुई बाज़ी को सीज़फायर के माध्यम से बंद किया गया इसमें जनता अपने आपको ठगा हुआ महसूस कर रही है अभी मोदी सरकार के पास बहुत अच्छा मौक़ा था पाक अधिकृत कश्मीर को वापस लेने व आतंकवाद को जड़ से ख़त्म करने का इस सुनहरे मौक़े को मोदी सरकार ने गंवा दिया और जनता को इसका जवाब भी नहीं दिया कि किन शर्तों पर सीज़फायर किया गया था आम जनमानस को अंधेरे में रखकर सरकार कुछ अपने चहेते लोगों को लाभ पहुँचाने की दृष्टि से जो निर्णय ले रही है इसके दूरगामी परिणाम बहुत ही भयानक होने वाले हैं ऐसा दिखाई पड़ता है आज समय आ गया है जनता को जागरुक होने का और इस जुमले बाज़ और झूठ बोलने वाली सरकार को सबक़ सिखाने का इस घटना से हमें ऐसा लगता है की 56 इंच के सीने के ग़ुब्बारे की हवा निकल गई है इस घटना के बाद किसी भी ज़िम्मेदार व्यक्ति पर ना कोई कारवाई हुई ना किसी का इस्तीफ़ा हुवा हमारी विदेश नीति पूरी तरह से ध्वस्त होते हुए दिखाई दे रही है क्योंकि इस युद्ध के दौरान कोई भी देश भारत के साथ खड़ा नहीं हुआ ना ही पार्लियामेंट का विशेष सत्र बुलाया गया यहाँ तक की सर्वदलीय बैठक भी एक औपचारिकता मात्र रही जिसमें प्रधानमंत्री उपस्थित नहीं हुवे और ना ही विपक्ष के प्रश्नों का कोई जवाब दिया वह विपक्ष के प्रश्नों और मीडिया के प्रश्नों से हमेशा बचने की कोशिश करते रहे हैं विफलता का सामना करने की हिम्मत अब उन में दिखाई नहीं देती