“रेत के पैसे से खेल—दर्री में लाखों का विकास कागज़ों तक ही सीमित!”
मुख्य समाचार:
ग्राम पंचायत दर्री में रेत कारोबार से आए पैसों को गांव के विकास के नाम पर खर्च दिखाकर भारी भ्रष्टाचार किया गया है। ग्रामीण समिति के पूर्व पदाधिकारियों और जिम्मेदार मिस्त्रियों की लापरवाही अब धीरे-धीरे सामने आ रही है।
ग्रामीण रजिस्टर में लाखों रुपये का खर्च दिखाकर ज्योति कक्ष का बाउंड्री वाल निर्माण कराया गया था। कागज़ों में दर्ज है कि दो बड़े राज मिस्त्री को ठेका देकर कई दिनों तक रोजी-मजदूरी पर काम कराया गया, वहीं ईंट और अन्य सामग्री पर भी लाखों का हिसाब-किताब दर्ज है।
लेकिन हकीकत इसके ठीक उलट है—
लाखों रुपये खर्च होने के बावजूद दीवार महज़ दो बरसात भी नहीं झेल सकी।
बिना मजबूती के बने कॉलम सरिया सहित जमीन में धंसकर गिर गए।
मिस्त्री हजारों रु कमा कर यही काम किया है, ये बड़ी सवाल की बात है
क्या मिस्त्री को कॉलम बेस, सरिया की मात्रा गहराई तक भी मालूम नहीं
ग्राम दर्री के ग्रामीणों का आरोप है कि पदाधिकारियों और ठेकेदारों की मिलीभगत से यह पूरा खेल हुआ है। लाखों का बजट पास हुआ, लेकिन गांव को सिर्फ़ कमजोर दीवार और ढहते कॉलम ही मिले।
प्रश्न खड़ा होता है:
आखिर जिम्मेदारी तय क्यों नहीं होती?
रेत से आने वाला पैसा गांव की तरक्की का जरिया बने या फिर भ्रष्टाचारियों की जेब भरने का साधन?
इस लापरवाही का हिसाब कौन देगा—पिछले कार्यकाल के पदाधिकारी या ठेकेदार मिस्त्री?
यहाँ जानकारी ग्राम दर्री के ऋषि चक्रधारी ने दिया