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विभागीय अपमान से सम्मान लौटाने की चेतावनी : राज्य सम्मानित शिक्षक ने उठाई आवाज़

विभागीय अपमान से सम्मान लौटाने की चेतावनी : राज्य सम्मानित शिक्षक ने उठाई आवाज़
बालोद :
शिक्षक दिवस के अवसर पर जहाँ पूरा देश अपने गुरुजनों का सम्मान करता है, वहीं बालोद जिले के एक राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर सम्मानित शिक्षक को प्रशासनिक लापरवाही के चलते अपमानित होना पड़ा है।
श्री रघुनंदन गंगबोईर, व्याख्याता (एल.बी.) — जिन्हें मुख्यमंत्री शिक्षा गौरव अलंकरण – शिक्षा श्री और राज्य शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है — ने शासन को चेतावनी दी है कि यदि वरिष्ठता निर्धारण एवं युक्तियुक्तरण प्रक्रिया की निष्पक्ष समीक्षा कर न्याय नहीं दिया गया, तो वे अपने दोनों राज्य स्तरीय सम्मान शासन को लौटाने के लिए विवश होंगे।

शिक्षक का आरोप

जिला प्रशासन ने छ.ग. सिविल सेवा अधिनियम 1961 की धारा 12(क) की अनदेखी करते हुए उन्हें कनिष्ठ घोषित कर “अतिशेष” की सूची में डाल दिया।

उनकी पत्नी श्रीमती पुष्पा गंगबोईर, जो अंग्रेजी विषय की शिक्षिका हैं, को भी लगातार प्रशासनिक अनियमितताओं का शिकार बनाया गया।

सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के तहत मांगी गई जानकारी भी अधूरी व अपूर्ण प्रदान की गई।


अपमान की विडंबना

श्री गंगबोईर का कहना है कि —
“यह विडंबना है कि एक ओर राज्य शासन ने हमें सम्मानित किया, वहीं दूसरी ओर जिला स्तर पर हमें अपमानित कर दिया गया। स्थिति ऐसी है कि ‘राज्य से सम्मान, जिले से अपमान’ हमारी नियति बन चुकी है।”

अंतिम चेतावनी

उन्होंने कहा कि यदि शासन शीघ्र हस्तक्षेप कर अन्यायपूर्ण निर्णयों की समीक्षा नहीं करता, तो वे विवश होकर अपने राज्य स्तरीय सम्मान लौटाने का कदम उठाएँगे। यह कदम उनके लिए कोई इच्छा नहीं बल्कि आत्मसम्मान की रक्षा हेतु नैतिक आवश्यकता होगा।
 *पीजीएन पोर्टल में शिकायत दर्ज:*
उपरोक्त अवमानना के संबंध में राज्य सरकार के जन शिकायत पोर्टल के स्थापना शाखा हेतु ज्ञापन पत्र के माध्यम से राज्य शासन को उपरोक्त बातें सूचित की जा चुकी है जिसका टोकन नंबर 792225010249 है  

 *न्यायपालिका का भी विभाग के द्वारा की जा रही है अवमानना* 

 पिछले चार महीने से पति-पत्नी दोनों का वेतन न्यायालयीन प्रकरण होने के न्यायालय की यथा स्थिति बनाए रखने के निर्देश से सविनय अवगत कराने के बावजुद न तो यथा स्थिति पुर्व संस्था में कार्य करने दिया जा रहा है और न ही तीन चार माह से वेतन दिया जा रहा है जिससे मानसिक के साथ आर्थिक परेशानियों का सामना एवं पारिवारिक जिम्मेदारियां के निर्वहन करने में तथा बच्चो की शिक्षा व स्वास्थ्य में बाधा उत्पन्न किया जा रहा है जो की न्याय व्यवस्था की अवमानना को भी दर्शाते हैं जबकि इसी मामला पर कांकेर जिला सहित पुरे राज्य में समस्त न्यायालयीन प्रकरण के शिक्षकों को न्यायालय के निर्देशानुसार यथास्थिति बनाए रखते हुए पूर्व संस्था में पद स्थापना देकर वेतन भत्ता आदि सारे लाभ दिए जा रहे हैं । इस प्रकार बालोद जिला में माननीय उच्च न्यायालय के आदेशों का पूर्णतया अवहेलना करने में अधिकारी किसी भी प्रकार से हिचक नहीं रहे हैं जो समानता के अधिकार का पूर्णता हनन अधिकारियों की स्वेच्छाचारिता एवं न्यायालयीन हस्तक्षेप का विषय है ।

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