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*धमतरी जिले के किसान अध्ययन भ्रमण पर रवाना*

*धमतरी जिले के किसान अध्ययन भ्रमण पर रवाना*

          *कलेक्टर ने दिखाई हरी झंडी*
    *आयल पॉम की खेती कम लागत–ज्यादा मुनाफा: कलक्टर श्री मिश्रा *
*धमतरी, 4 सितम्बर 2025/– जिले के कृषकों की आय बढ़ाने और आर्थिक स्वावलंबन की दिशा में जिला प्रशासन लगातार नवाचारों को बढ़ावा दे रहा है। इसी क्रम में आयल पॉम (तेल पाम) की खेती को प्रोत्साहित करने हेतु धमतरी जिले के चयनित किसानों को अध्ययन भ्रमण के लिए रवाना किया गया।*

*कलेक्टर ने दिखाई हरी झंडी*

*कलेक्टर श्री अबिनाश मिश्रा ने आज गुरुवार को ग्राम भलेसर (विकासखण्ड बागबाहरा, जिला महासमुन्द) स्थित कृषि प्रक्षेत्रों के अध्ययन भ्रमण हेतु कृषक दल को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस अध्ययन दल में जिले के 08 गांवों के 30 चयनित किसान, 03 ग्राम कृषि विस्तार अधिकारी एवं 02 ग्राम उद्यान विस्तार अधिकारी शामिल हैं।*

*जिले में बढ़ावा मिलेगा आयल पॉम खेती को*

.*धमतरी जिले में आयल पॉम को बढ़ावा देने हेतु अम्मा ऑयल पॉम प्लांटेशन लिमिटेड, हैदराबाद को अधिकृत किया गया है। यह संस्था किसानों को तकनीकी मार्गदर्शन के साथ-साथ उत्पाद की खरीदी भी सुनिश्चित करेगी। चयनित किसानों द्वारा 11.90 हेक्टेयर क्षेत्र हेतु 1703 पौधों का भंडारण पहले ही किया जा चुका है।*

*सरकारी योजना और आर्थिक सहयोग*

*उप संचालक कृषि श्री मोनेश साहू ने बताया कि “नेशनल मिशन ऑन एडीबल ऑयल्स एंड ऑयल पॉम” अंतर्गत जिले को वर्ष 2025-26 में 300 हेक्टेयर में आयल पॉम खेती का लक्ष्य दिया गया है।
योजना के तहत किसानों को पौध रोपण, रखरखाव, अंतरवर्ती फसल, फेंसिंग और ड्रिप सिंचाई पर अनुदान उपलब्ध कराया जाएगा। साथ ही दो हेक्टेयर फसल प्रदर्शन हेतु नलकूप खनन एवं पंप प्रतिस्थापन पर अतिरिक्त सहायता भी दी जाएगी। एक किसान को अधिकतम ₹2,51,250 तक की अनुदान राशि प्राप्त हो सकेगी।*

*कम लागत–ज्यादा मुनाफा*

  *इस अवसर पर कलेक्टर श्री अबिनाश मिश्रा ने कह कि आयल पॉम पौधारोपण के 3-4 वर्ष बाद उत्पादन देना शुरू करता है और लगभग 30 वर्षों तक निरंतर उत्पादन मिलता है। प्रति हेक्टेयर औसत उत्पादन 20-25 टन प्रतिवर्ष होता है, जिसका बाजार मूल्य वर्तमान में ₹1700 प्रति क्विंटल है। यह फसल पथरीली या कम उपजाऊ भूमि में भी आसानी से उगाई जा सकती है और जंगली या पालतु पशुओं से भी सुरक्षित रहती है।*
*कलेक्टर श्री मिश्रा ने किसानों से अपील की है कि वे कम लाभ देने वाली पारंपरिक फसलों की बजाय आयल पॉम जैसी उच्च राजस्व प्रदान करने वाली फसल को अपनाएँ। प्रशासन किसानों को हर स्तर पर सहयोग और मार्गदर्शन प्रदान करेगा।*

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